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Chhattisgarh News: नगरीय निकाय चुनाव- 25 साल का युवा महापौर की कुर्सी पर काबिज होने आजमा सकेगा भाग्य

Chhattisgarh News: राज्य शासन ने घोषणा कर दी है कि महापौर का चुनाव डायरेक्ट होगा। मतलब ये कि शहरवासी अपना मेयर खुद चुनेंगे। एक और बड़ा बदलाव ये कि 25 साल का यूथ मेयर की कुर्सी पर काबिज होने चुनावी मैदान में भाग्य आजमा सकता है। राज्य शासन ने निकाय चुनाव के लिए दो अहम बदलाव किया है। मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन और मेयर के लिए उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर अब 25 साल कर दिया है। पार्षद का चुनाव 21 साल का यूथ लड़ सकेंगे। वर्ष 2019 के निकाय चुनाव में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बदलाव कर दिया था।

Chhattisgarh News: नगरीय निकाय चुनाव- 25 साल का युवा महापौर की कुर्सी पर काबिज होने आजमा सकेगा भाग्य
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By Radhakishan Sharma

Chhattisgarh News: बिलासपुर। राज्य शासन ने घोषणा कर दी है कि महापौर का चुनाव डायरेक्ट होगा। मतलब ये कि शहरवासी अपना मेयर खुद चुनेंगे। एक और बड़ा बदलाव ये कि 25 साल का यूथ मेयर की कुर्सी पर काबिज होने चुनावी मैदान में भाग्य आजमा सकता है। राज्य शासन ने निकाय चुनाव के लिए दो अहम बदलाव किया है। मेयर का डायरेक्ट इलेक्शन और मेयर के लिए उम्र सीमा 21 से बढ़ाकर अब 25 साल कर दिया है। पार्षद का चुनाव 21 साल का यूथ लड़ सकेंगे। वर्ष 2019 के निकाय चुनाव में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बदलाव कर दिया था।

वर्ष 2014 में हुए नगरीय चुनाव में कुछ इस तरह की व्यवस्थाएं और शर्तें तय की गई थी। तब के चुनाव में 21 साल के युवा को पार्षद के लिए और 25 साल का यूथ महापौर पद के लिए जरुरी था। इससे नीचे के उम्र वाले युवा को पार्षद व महापौर पद के लिए चुनाव लड़ने योग्य नहीं माना गया था। वर्ष 2019 में कांग्रेस सरकार ने मेयर चुनाव के पैटर्न और उम्र दोनों में बदलाव कर दिया। महापौर का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने सरकार ने घोषणा कर दी थी। पार्षदों को ही महापौर चुनने का अधिकार दिया गया था। पार्षद पद के लिए उम्र सीमा कम से कम 21 वर्ष तय की गई थी, लिहाजा महापौर के लिए यही उम्र तय किया गया था। मतलब ये कि पार्षद और महापौर पद के लिए तब 21 साल के युवा को चुनाव लड़ने की छूट दी गई थी। इस बार मेयर का चुनाव डायरेक्ट होगा इसलिए उम्र सीमा को चार साल बढ़ा दिया गया है। अब मेयर पद के लिए चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार की न्यूनतम उम्र 25 साल होना जरुरी है। मेयर के लिए डायरेक्ट चुनाव के साथ ही दोनों ही पदों के लिए न्यूनतम उम्र सीमा के निर्धारण के बाद माना जा रहा है कि नगरीय निकाय चुनाव को लेकर युवाओं में खासा उत्साह देखने को मिलेगा। युवा वोटर किस दिशा में आगे बढ़ते हैं और क्या सोचते हैं यह तो चुनाव की घोषणा और सियासी माहौल गरमाने के बाद ही पता चलेगा।

राजनीतिक दलों के सामने बड़ी चुनौती

मेयर और पार्षद पद के लिए तय की गई न्यूनतम उम्र सीमा के बाद सत्ताधारी दल भाजपा व प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के रणनीतिकारों और संगठन के पदाधिकारियों के सामने बड़ी चुनौती रहेगी। टिकट वितरण में युवाओं पर कितना भरोसा करते हैं और किस अंदाज में युवाओं को चुनावी मैदान में उतारते हैं, यह भी देखने वाली बात होगी।

भाजपा ने तो संगठन में भी तय कर दी है उम्र सीमा

भाजपा ने नई पीढ़ी को राजनीति के मुख्यधारा में लाने के लिए संगठन में जरुरी बदलाव कर दिया है। लिहाजा उम्र सीमा तय कर दी है। मंडल अध्यक्ष के लिए अधिकतम 45 और जिलाध्यक्ष के लिए 60 साल उम्र का बंधन तय कर दिया है। इससे अधिक उम्र वालों को घर बैठना होगा। संगठन में पदाधिकारियों के लिए उम्र सीमा तय किए जाने के बाद से ही इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या इस तरह के नियम व मापदंड चुनाव के दौरान टिकट वितरण में दिखाई देगा। संगठन में हुए इस बदलाव का नगरीय निकाय चुनाव में उम्मीदवारी चयन में दिखाई देगा या नहीं। निश्चित रूप से भाजपाई रणनीतिकारों और पदाधिकारियों के सामने एक बड़ी चुनौती रहेगी।

युवा वोटरों पर फाेकस

महापौर और पार्षद के लिए अब न्यूनतम उम्र की सीमा तय कर दी है तब यह भी माना जा रहा है कि इस बार युवा वोटर्स पर फोकस भी ज्यादा रहेगा। युवाओं को रिझाने के लिए दोनों ही दलों की ओर से क्या कुछ किया जाएगा इसकी चर्चा अभी से ही होने लगी है और कयास भी लगाए जा रहे हैं।

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